वैसे तो हमारा यह जीवन किसी रंग मंच से कम नहीं| हम निरंतर अपने जीवन काल में अभिनय ही करते रहतें हैं|
रंग मंच से मुझे शुरू से ही लगाव रहा है परन्तु सिर्फ एक दर्शक की हैसियत से|
डॉक्टर और मरीज़ अतिलघु नाटिका एक छोटा सा प्रयास उस दीर्घा को लांघने का|
आपका आंकलन आपेक्षित है|
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