Rohit’s Blog!

Being in this world…

बहता समय

जीवन में जब सब कुछ एक साथ और जल्दी – जल्दी करने की इच्छा होती है, सब कुछ तेजी से पा लेने की इच्छा होती है, और हमें लगने लगता है कि दिन के चौबीस घंटे भी कम पड़ते हैं, ऐसे में हमें क्या करना चाहिए…

खेद है कि हमारी शिक्षा प्रणाली में इन ज़रूरी बातों के लिए समय और साहस नहीं है |

विचारने योग्य बात यह है की हम सभों के पास एक दिवस के अन्दर सामान तौर से आबंटित चौबीस घंटे ही होते हैं |

सवाल यह कि उन चौबीस घंटों में से आप किस समय को अपने लिए और अपने समाज के लिए क्रांतिकारी बना देते हो |

1 Comment

  1. sanjaygrover

    हुज़ूर आपका भी …….एहतिराम करता चलूं …..
    इधर से गुज़रा था- सोचा- सलाम करता चलूं ऽऽऽऽऽऽऽऽ

    कृपया एक व्यंग्य को पूरा करने में मेरी मदद करें। मेरा पता है:-
    http://www.samwaadghar.blogspot.com
    शुभकामनाओं सहित
    संजय ग्रोवर
    samvadoffbeat@yahoo.co.in