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Being in this world…

विटामिन ऍम के बिना भी क्या जीना

आलस्य इंसान का सबसे बड़ा दुश्मन है। यह सच नहीं है। मेरे हिसाब से विटामिन ऍम की कमी इंसान की सबसे बड़ी शत्रु है। ऍम शब्द अंग्रेज़ी के शब्द मनी से लिया गया है।

मैं एक ठीक ठाक चुस्त दुरुस्त इंसान हूँ परन्तु सेवा निवृति के समय काफी सारा धन एक साथ मिल जाने के कारण मेरी चुस्ती फुर्ती का कोई ठिकाना न रहा। इस दौरान मैंने काफी अनावश्यक खर्चे किये और बहुत सी योजनाएं आरम्भ की, घर पे काफी सारा अनियोजित निर्माण कार्य भी हुआ। जहां पर थोड़े से पैसे से बात बन सकती थी वहां पर कई गुना खर्च कर डाला।

ख़ज़ाने तो कुबेरों के भी खाली हो जाते हैं, समय बीत जाने के साथ साथ मेरा धन भी मेरा साथ छोड़ कर चला गया। विटामिन ऍम से वंचित होने के पश्चात मेरी चुस्ती फुर्ती ने भी मुझे अलविदा कहा अब मैं एक आलसी आदमी की तरह अपने भाग्य के भरोसे सिर्फ इंतज़ार करता हूँ।

जीवन के प्रति मेरी सभीं मूल बातें और सारी की सारी विचारधारा की जड़ें हिल गयीं है। मेरे सारे नियम और कायदे जैसे जीवन में सदैव बड़ा सोचो, गलतियां करने से कभी संकोच मत करो, आगे बढ़ो और देखो कैसे ब्रह्माण्ड तुम्हारे इशारों पर नाचता है अब मुझे बिलकुल प्रेरित नहीं करते।

अब मेरे जैसी अवस्था में कुछ संचित धन काफी अधिक महत्त्व रखता है। दिल से यही टीस उठती है – रे विटामिन ऍम, तेरे बिना भी क्या जीना।

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