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महाभारत के नौ सार सूत्र

यदि “महाभारत” को पढ़ने का समय न हो तो भी इसके नौ सार- सूत्र हमारे जीवन में उपयोगी सिद्ध हो सकते है :

एक: संतानों की गलत माँग और हठ पर समय रहते अंकुश नहीं लगाया गया, तो अंत में आप असहाय हो जायेंगे- कौरव

दो: आप भले ही कितने बलवान हो लेकिन अधर्म के साथ हो तो, आपकी विद्या, अस्त्र-शस्त्र शक्ति और वरदान सब निष्फल हो जायेगा – कर्ण

तीन: संतानों को इतना महत्वाकांक्षी मत बना दो कि विद्या का दुरुपयोग कर स्वयंनाश कर सर्वनाश को आमंत्रित करे – अश्वत्थामा

चार: कभी किसी को ऐसा वचन मत दो कि आपको अधर्मियों के आगे समर्पण करना पड़े – भीष्म पितामह

पांच: संपत्ति, शक्ति व सत्ता का दुरुपयोग और दुराचारियों का साथ अंत में स्वयंनाश का दर्शन कराता है – दुर्योधन

छह: अंध व्यक्ति- अर्थात मुद्रा, मदिरा, अज्ञान, मोह और काम ( मृदुला) अंध व्यक्ति के हाथ में सत्ता भी विनाश की ओर ले जाती है – धृतराष्ट्र

सात: यदि व्यक्ति के पास विद्या, विवेक से बँधी हो तो विजय अवश्य मिलती है – अर्जुन

आठ: हर कार्य में छल, कपट, व प्रपंच रच कर आप हमेशा सफल नहीं हो सकते – शकुनि

नौ: यदि आप नीति, धर्म, व कर्म का सफलता पूर्वक पालन करेंगे, तो विश्व की कोई भी शक्ति आपको पराजित नहीं कर सकती – युधिष्ठिर

यदि इन नौ सूत्रों से सबक लेना सम्भव नहीं होता है तो जीवन मे महाभारत संभव हो जाता है।

 

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